जानिए-फटने के बाद या शहीदों के शव से उतरे तिरंगे का क्या होता है,
15 अगस्त यानी भारत के 69वें स्वाधीनता दिवस पर लोगों ने जमकर आजादी का जश्न मनाया। पूरे देश में तिरंगे फहराए गए। जमीन और आसमान से लेकर लोगों के चेहरे तक तिरंगे के रंग से रंगे नजर आए। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम बता रहे हैं तिरंगे से जुड़ी ये अहम बातें जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
क्या होता है शहीदों के शवों पर लिपटे तिरंगे का
देश पर प्राण न्योछावर करने वाले भारतीय रणबांकुरों के शवों पर एवं राष्ट्र की महान विभूतियों के शवों पर भी उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए ध्वज को लपेटा जाता है। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर तरफ एवं हरी पट्टी पैरों की तरफ होना चाहिए, न कि सिर से लेकर पैर तक सफेद पट्टी चक्र सहित आए और केसरिया और हरी पट्टी दाएं-बाएं हों। शहीद या विशिष्ट व्यक्ति के शव के साथ ध्वज को जलाया या दफनाया नहीं जाता, बल्कि मुखाग्नि क्रिया से पहले या कब्र में शरीर रखने से पहले ध्वज को हटा लिया जाता है।
देश पर प्राण न्योछावर करने वाले भारतीय रणबांकुरों के शवों पर एवं राष्ट्र की महान विभूतियों के शवों पर भी उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए ध्वज को लपेटा जाता है। इस दौरान केसरिया पट्टी सिर तरफ एवं हरी पट्टी पैरों की तरफ होना चाहिए, न कि सिर से लेकर पैर तक सफेद पट्टी चक्र सहित आए और केसरिया और हरी पट्टी दाएं-बाएं हों। शहीद या विशिष्ट व्यक्ति के शव के साथ ध्वज को जलाया या दफनाया नहीं जाता, बल्कि मुखाग्नि क्रिया से पहले या कब्र में शरीर रखने से पहले ध्वज को हटा लिया जाता है।
कब होता है तिरंगे का नष्टीकरण
जब तिरंगा अमानक, बदरंग कटी-फटी स्थिति में हो तो झंडे का यह स्वरूप फहराने योग्य नहीं होता। इस स्थिति में झंडा फहराना ध्वज का अपमान करने वाला अपराध माना जाता है। अतः जब कभी ध्वज ऐसी स्थिति में हो तो गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ अग्नि प्रवेश दिला दिया जाता है या फिर वजन/रेत बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है। यही प्रकिया पार्थिव शरीरों पर से उतारे गए ध्वजों के साथ भी होती है।
जब तिरंगा अमानक, बदरंग कटी-फटी स्थिति में हो तो झंडे का यह स्वरूप फहराने योग्य नहीं होता। इस स्थिति में झंडा फहराना ध्वज का अपमान करने वाला अपराध माना जाता है। अतः जब कभी ध्वज ऐसी स्थिति में हो तो गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ अग्नि प्रवेश दिला दिया जाता है या फिर वजन/रेत बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है। यही प्रकिया पार्थिव शरीरों पर से उतारे गए ध्वजों के साथ भी होती है।
तिरंगे को कब झुकाया जाता है
भारतीय संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता है व राष्ट्रीय शोक घोषित होता है, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा जिस भवन में उस राष्ट्र विभूति का पार्थिव शरीर रखा जाता है। जैसे ही उस राष्ट्र विभूति का पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए बाहर निकाला जाता है, वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता है।
भारतीय संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता है व राष्ट्रीय शोक घोषित होता है, तब कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है। लेकिन सिर्फ उसी भवन का तिरंगा झुका रहेगा जिस भवन में उस राष्ट्र विभूति का पार्थिव शरीर रखा जाता है। जैसे ही उस राष्ट्र विभूति का पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए बाहर निकाला जाता है, वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता है।
कब हुआ सबका तिरंगा
26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया और स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्टरी में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के इसे फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को शान से फहरा सकते हैं। बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कठोरतापूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें।
26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया और स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्टरी में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के इसे फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को शान से फहरा सकते हैं। बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कठोरतापूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें।
तिरंगे से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
> पहला ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
> राष्ट्रपति भवन के संग्रहालय में एक ऐसा लघु तिरंगा है, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है।
> माउंट एवरेस्ट पर पहली बार तिरंगे को यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ 1953 में फहराया गया, जब शेरपा तेनजिंग और एडमण्ड हिलेरी ने माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त की।
21 अप्रैल 1996 को स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर ने एम. आई.-8 हेलिकॉप्टर से 10000 फीट की ऊंचाई से कूदकर पहली बार तिरंगा उत्तरी ध्रुव पर फहराया।