आप यह तथ्य जानते ही होंगे की सुंदर कैलाश पर्वत, जो तिब्बत मे है, वहाँ कोई पर्वतारोही आज तक चढ़ाई नहीं कर पाया | यह सिर्फ़ कहानियों मे सुना गया है की रहस्यमई तिब्बतिअन योद्धा और कवि “मिलरेपा” एकलौते ऐसे इंसान हैं जिन्होने कैलाश पर्वत की चोटी पर विजय प्राप्त की है | क्या आपने कभी सोचा है कि इस पर्वत की चढ़ाई इतनी दुर्गम क्यों है ? क्या है यह शारीरिक दुर्बलता है या इस पर्वत की ऊंचाई है या ऐसा कोई रहस्य जिसको इंसान समझ नहीं सकता | नीचे कुछ तथ्य दिए हैं जिनके द्वारा इस रहस्य को समझाने की कोशिश की गयी है |
माउंट एवरेस्ट जो की 8848 मीटर की ऊंचाई पर है उसकी चोटी तक 4000 लोग पहुँच चुके हैं जबकि कैलाश की 6638 मीटर की उँचाई आज तक कोई तय नहीं कर पाया | हिंदू जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के अनुसार कैलाश एक बहुत पवित्र जगह है | यह मान्यता है की कैलाश पर्वत भगवान शिव का स्थान है इसीलिए कोई जीवित व्यक्ति वहाँ पहुँच नहीं सकता | प्राचीन तिब्बती कहानियों के अनुसार भी ऐसे स्थान पर जहाँ बादलों के बीच भगवान का निवास है, वहाँ किसी इंसान का जाना असंभव है |
मानसरोवर और रक्षताल झील
मानसरोवर झील और रक्षताल झील कैलाश पर्वत की घाटी मे स्थित हैं जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 14950 फीट है | मानसरोवर झील दुनिया की सबसे ऊंची साफ पानी की झील है जबकि रक्षताल एक खारे पानी की झील है | मानसरोवर झील का आकार सूर्य की तरह है जबकि रक्षताल झील चंद्राकार है | रक्षताल झील का व्यवहार हमेशा उथल पुथल वाला होता है जबकि किसी भी मौसम मे मानसरोवर झील हमेशा शांत रहती है | ये दोनो झील एक दूसरे के बहुत करीब हैं | यह मान्यता है की रक्षताल झील के किनारे रावण ने भगवान शिव की आराधना की थी |
पर्वतारोहियों के अनुभव
कर्नल विलसन, जो की एक पर्वतारोही हैं अपने कैलाश पर्वत की चढ़ाई के प्रयास के अनुभव को बताते हुए कहते है, “जैसे ही मैने पर्वत की चोटी पर पहुँचने का आसान रास्ता ढूँढा, अचानक भारी बर्फ़बारी होने लगी जिसने चढ़ाई को असंभव बना दिया |”
कैलाश पर्वत की चढ़ाई की कोशिश का एक और अनुभव आपको अस्चर्यचकित कर देगा | एक रूसी पर्वतारोही सरगई किस्तियकोव ने अपना अनुभव लिखा है की जब वह पर्वत की घाटी मे पहुँचा तब उसका हृदय तेज़ी से धड़कने लगा | उसे यह महसूस हुआ की वह उसे इस पवित्र पर्वत पर नहीं होना चाहिए और तुरंत वापस चले जाना चाहिए | जैसे ही वह वापस जाने को हुआ, उसे पुनः सबकुछ ठीक लगने लगा |
कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्तव
कैलाश पर्वत कई धर्मो की मान्यताओं के अनुसार एक बहुत ही पवित्र स्थान है | हिंदू धर्म के अनुसार यह स्थान भगवान शिव का निवास स्थान है जबकि बौद्ध धर्म में यह मान्यता है कि यहां भगवान बुद्ध का निवास स्थान है। जैन धर्म के अनुवायियों की मानें तो यहां उनके धर्म के रचयिता भगवान ऋषभ को कैलाश पर्वत पर ज्ञान तथा मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
भू वैज्ञानिकों के अनुसार कैलाश पर्वत 6 और पर्वतों के बीच में स्थित है जो कि कमल के फूल की तरह प्रतीत होते हैं। कैलाश पर्वत से चारों दिशाओं में चार नदियों, सिंधु, ब्रहम्पु़त्र, करनाली और सतलुज का उद्गम स्थान है जो मानसरोवर झील तथा रक्षताल झील से निकलती हैं। ये चारों नदियां ऐशिया की प्रमुख नदियां हैं। एक और मान्यता यह है कि कैलाश पर्वत इस धरती का केंद्र बिंदु है जिसे “ एक्सिस मुंडी “ भी कहा जाता है। यह धरती और स्र्वग तथा संसारिक और अध्यात्मिक दुनिया के संबंध को दर्शाता है। पुराणों के अनुसार यहां धरती और स्र्वग का मिलन होता है।
कैलाश मानसरोवर की परिक्रमा
कैलाश पर्वत रहस्यमयी होने के साथ साथ एक बहुत पवित्र स्थान माना जाता है जिसकी परिक्रमा सदियों से श्रद्धालु करते रहे हैं। इस परिक्रमा से आत्मा की शुद्धी के साथ साथ पुर्नजन्म की मान्यता जुड़ी हुई है। बौद्ध तथा जैन इस परिक्रमा को खोरा का नाम देते हैं। इस पर्वत की एक परिक्रमा जो कि 52 कि मी लंबी होती है, एक जीवन चक्र की परिक्रमा के बराबर होती है जिससे सारे पापों का नाश हो जाता है।
पुराणों के अनुसार कैलाश सुमेरू पर्वत का धरती पर अभिरूप है जो रहस्यमयी शक्तियों का भंडार है। इस पर्वत के आस पास की हवा भी बुढ़ापे की ओर शीघ्र ले जाती है तथा जो लोग इस पर्वत के आस पास आते हैं उनके नाखून तथा बाल 12 घंटे में बढ़ जाते हैं जो कि अमूमन दो सप्ताह में होता है। रूसी शोधकर्ता इस पर्वत को मानव निर्मित पिरामिड मानते हैं जिसे किसी दैविक शक्ति वाले मनुष्य ने बनाया है।
तमाम शोधों और प्रयासों के बावजूद यही माना जाता है कि कोई भी इंसान उस पर्वत के 6638 मी ऊंचे होने के बावजूद कोई पर्वतारोही इस पर विजय प्राप्त नहीं कर पाएगा। लेकिन कुछ बातें, चाहें वह जितनी भी डरावनी हों या जिनका इतिहास कितना भी पुराना क्यूं न हो, उनका रहस्यमयी रहना ही ठीक है।
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