• गुफा के भीतर जलकुंड और उसके बराबर में शिवलिंग का आभास कराती शिला भी है जिस पर पानी टपक रहा है। दीवारों पर भगवान गणेश और नागों समेत कई तरह की आकृतियां बनी हुई हैं। खुदाई के दौरान गुफा मिलने की खबर का पता चलते ही इसे देखने वालों का तांता लग गया। गुफा के सड़क से लगे होने के कारण पल्ला कमस्यार क्षेत्र में पर्यटन की नई उमीद जग गई है।
• बागेश्वर से करीब 50 किमी दूर अठपैसिया में कांडा रावतसेरा-बांस पटान सड़क के चौड़ीकरण का काम चल रहा है। रविवार को जेसीबी से पहाड़ की खुदाई हो रही थी। तभी वहां से गुजर रहे कपूरी गांव के हिमांशु राठौर की नजर पहाड़ी में बने एक बड़े से गड्ढे पर पड़ी। वह उस स्थान पर गया और वहां से कुछ पत्थर हटाए। उसे वहां एक गुफा नजर आई।
•हिमांशु के साथ जीप चालक नितिन रावत भी था। हिम्मत कर दोनों युवा अंदर पहुंचे तो उन्हें वहां 14 मीटर लंबी और चार मीटर चौड़ी मनोरम गुफा दिखाई दी। गुफा के भीतर करीब चार मीटर लंबा, तीन मीटर चौड़ा, तीन फीट गहरा जलकुंड और इसी के बराबर में शिवलिंग का आभास कराती शिला थी, जिस पर पानी टपक रहा है।
•गुफा के भीतर गणेश, अन्य देवी-देवताओं, नाग और गाय के थन की आकृतियां बनी हुई थी। गुफा में जाने के लिए सड़क से चार मीटर नीचे उतरना पड़ता है। गुफा में एक साथ पांच से सात लोग आ-जा सकते हैं। बाहर आकर युवकों ने आसपास के लोगों को गुफा के बारे में बताया। इसके बाद वहां लोगों का तांता लग गया और पूजा-अर्चना शुरू कर दी है।
गुफा के भीतर गणेश, अन्य देवी-देवताओं, नाग और गाय के थन की आकृतियां बनी हुई थी। गुफा में जाने के लिए सड़क से चार मीटर नीचे उतरना पड़ता है। गुफा में एक साथ पांच से सात लोग आ-जा सकते हैं। बाहर आकर युवकों ने आसपास के लोगों को गुफा के बारे में बताया। इसके बाद वहां लोगों का तांता लग गया और पूजा-अर्चना शुरू कर दी है।
गुफा के भीतर जलकुंड और उसके बराबर में शिवलिंग का आभास कराती शिला भी है जिस पर पानी टपक रहा है। दीवारों पर भगवान गणेश और नागों समेत कई तरह की आकृतियां बनी हुई हैं। खुदाई के दौरान गुफा मिलने की खबर का पता चलते ही इसे देखने वालों का तांता लग गया। गुफा के सड़क से लगे होने के कारण पल्ला कमस्यार क्षेत्र में पर्यटन की नई उमीद जग गई है।
बागेश्वर से करीब 50 किमी दूर अठपैसिया में कांडा रावतसेरा-बांस पटान सड़क के चौड़ीकरण का काम चल रहा है। रविवार को जेसीबी से पहाड़ की खुदाई हो रही थी। तभी वहां से गुजर रहे कपूरी गांव के हिमांशु राठौर की नजर पहाड़ी में बने एक बड़े से गड्ढे पर पड़ी। वह उस स्थान पर गया और वहां से कुछ पत्थर हटाए। उसे वहां एक गुफा नजर आई।
हिमांशु के साथ जीप चालक नितिन रावत भी था। हिम्मत कर दोनों युवा अंदर पहुंचे तो उन्हें वहां 14 मीटर लंबी और चार मीटर चौड़ी मनोरम गुफा दिखाई दी। गुफा के भीतर करीब चार मीटर लंबा, तीन मीटर चौड़ा, तीन फीट गहरा जलकुंड और इसी के बराबर में शिवलिंग का आभास कराती शिला थी, जिस पर पानी टपक रहा है।
गुफा के भीतर गणेश, अन्य देवी-देवताओं, नाग और गाय के थन की आकृतियां बनी हुई थी। गुफा में जाने के लिए सड़क से चार मीटर नीचे उतरना पड़ता है। गुफा में एक साथ पांच से सात लोग आ-जा सकते हैं। बाहर आकर युवकों ने आसपास के लोगों को गुफा के बारे में बताया। इसके बाद वहां लोगों का तांता लग गया और पूजा-अर्चना शुरू कर दी है।
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