अफगानिस्तान से लेकर यूरोप और अफ़्रीकी मूल वाले बच्चे अब हिंदी में बात करना सीख रहे हैं। सात वर्ष से विक्टोरिया में रह रहीं पूजा वर्मा इस स्कूल में हिंदी पढ़ाती हैं।
उन्होंने कहा, "मैंने भारत में दस वर्ष एक सरकारी स्कूल में पढ़ाया और मेरी बेटी यहाँ पढ़ती थी। जब प्रिंसिपल कॉलिन आइवरी ने मुझसे पूछा कि क्या आप हिंदी पढ़ाना चाहेंगी तो मैंने कहा क्यों नहीं! बस तीन वर्ष से मैं इसी कोशिश में हूँ और विक्टोरिया के शिक्षा मंत्री ने भी यहाँ आकर हमारा उत्साह बढ़ाया है"।
फिलहाल इस प्राइमरी स्कूल में दो भारतीय मूल की शिक्षक, पूजा वर्मा और किरनप्रीत कौर, हैं जो विद्यार्थियों को हिंदी से अवगत कराने में जुटी हुई हैं।लेकिन प्रधानाचार्य की योजना है कि आगे होने वाली दो और शिक्षकों की भर्ती में हिंदी की जानकारी पर भी जोर दिया जाएगा।
हालांकि ज़्यादातर बच्चे अभी प्रारंभिक हिंदी के शब्द और उच्चारण ही सीख सके हैं लेकिन इस भाषा के प्रति इनका उत्साह निराला है।आलम ये है कि अब स्कूल के शौचालयों के सामने लगे बोर्ड पर 'पुरुष' और 'महिला' तक लिखा दिखता है। चलने से पहले पूजा वर्मा ने कहा, "यहाँ भारत को लेकर जागरूकता बहुत बढ़ रही है। हमारे पास दूसरे स्कूलों से भी फ़ोन भी आने लगे हैं"।
Post a Comment
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.